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आत्महत्या — असंतुलित भावनाओं का नतीजा |

सुशांत सिंह की आत्महत्या ने देश विदेश में मौजूद उनके प्रशंशको को हिला के रख दिया है | जहां एक और उनके प्रशंसक उनके आकस्मिक निधन से स्तब्ध है | इंटरनेट की दुनिया में एक नई बहस  पैदा हो गयी है | कुछ लोग रईस सितारों की सन्तानों द्वारा व्यक्त की गयी संवेदनाओं को झूठा बता रहे हैं वहीँ कुछ लोग इसमें एक षड़यंत्र की संभावना देख रहे हैं | सुशांत के विधायक चाचा ने मौत में षड्यंत्र की गुंजाइश को देखते हुए सीबीआई की जांच की मांग की  है।  वहीँ कुछ लोग इसे फिल्म इंडस्ट्री में मौजूद भाई भतीजावाद के नतीजे के रूप में इसे देख रहे हैं |

सुशांत बचपन से ही एक प्रतिभाशाली छात्र तो रहे ही हैं उन्होंने अपने अभिनय के दम पर भी अपनी अमिट छाप लोगों के ह्रदय पर छोड़ी है | सुशांत एक हंसमुख और प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के मालिक थे, उन्हें किसी भी नजरिये से कमजोर विचारों का नहीं कहा जा सकता |

 

तो फिर गड़बड़ कहाँ  हुई ?

यदि आप ध्यान से देखें  तो पाएंगे कि इस मसले पर इंटरनेट पर छाए युद्ध की आग में अभी तक समाज के किसी भी प्रबुद्ध व्यक्ति ने पानी डालने का काम नहीं किया है बल्कि नित नए लोग इस मसले पर अपने पुराने संकटों को दुनिया के सामने रख रहे है | वो बता रहे है की फिल्म इंडस्ट्री गन्दी राजनीती का एक बहुत बड़ा अखाड़ा बन चुका है और किसी भी बाहरी व्यक्ति के लिए यहाँ पर टिकना बड़ा मुश्किल होता है|  फिल्म इंडस्ट्री के महानायकों से लेकर छोटे मोटे कलाकारों तक के पास शिकायतें तो है लेकिन समाधान किसी के पास नहीं है | सबने सिर्फ इस घमासान में अपने वजूद को बचा के रखने भर को और पैसे कमाने को ही एक सफल करियर मान के संतोष कर लिया, जिसका सीधा सीधा दुष्प्रभाव उनकी सन्तानो पर पड़ता है जो संघर्ष से सीधे सामना करने में हिचकिचाते हैं और किसी छोटे शहर से आये कलाकार की प्रतिभा से डर कर अपने आपको स्थापित करने के लिए राजनीति, भाई भतीजावाद का सहरा लेते हैं |

सच बात तो यह है कि जिन मूल कारणों की वजह से कोई व्यक्ति फिल्म  इंडस्ट्री की तरफ आकर्षित होता है, वही कारण इंडस्ट्री में विभिन्न समस्याओं, विरक्तियों को जन्म देता है। फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बड़ा आकर्षण पैसे के साथ साथ नाम है। बल्कि यों कहें की जिसका नाम बिकता है वही इंडस्ट्री का सरताज है। किसी भी व्यक्ति के सफल होने में उसकी प्रसद्धि अत्यधिक रोल अदा करती है। और इस प्रसिद्धि का, नाम का इतना महत्तव हो जाता है कि कोई भी असुरक्षित कलाकार जिसे अपनी गुणवत्ता पर शक हो अपने से अधिक प्रतिभावान कलाकार के प्रति ईर्ष्या से भर जाएगा। और एक ऐसा नौजवान जो प्रतिभा से भरपूर है , अक्षम राजनीति के सामने इसलिए झुकने को मजबूर हो जाता है क्योंकि वो इसे हैंडल करना ही नहीं जानता। यह एक बड़े स्तर की सामाजिक समस्या है क्योंकि ये समस्या केवल फिल्म इंडस्ट्री में हि नहीं बल्कि हर कार्यक्षेत्र, हर परिवार, हर गांव, शहर , मोहल्ले, ग्रुप की राजनीती में मौजूद है। बचपन से हमारे पेरेंट्स ने सिर्फ हमे स्टडीज में अच्छे मार्क्स लाने और अच्छी पैसे और नाम वाले करियर के बारे में ही समझाया। उन्होंने एक सफल करियर को इतना अधिक महत्तव दे दिया की जीवन के बाकी आयाम जिसमे की विभिन्न  तरह के लोगों से मिल के चलना भी एक आयाम है , समझाया ही नहीं।  जो इस वक्त इंटरनेट पर युद्ध लड़ रहे हैं उनके माता पिता ने भी उन्हें यह नहीं बता रखा है की इस तरह की राजनीती को देखने का नजरिया क्या होना चाहिए। या फिर यों कहें कि उन्हें भी (माता पिता को ) नहीं पता कि किन कारणों से एक व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता हैं।

 

समाधान

दोस्तों ! डिप्रेशन इस वक्त भारतीय समाज कि एक बहुत बड़ी बिमारी बन चुकी है। यदि इस समस्या को जड़ से पहचाना जाए तो इसका समाधान काफी आसान है। सबसे पहले एक बात ये समझे की डिप्रेशन हमारे विचारों से उत्पन्न एक स्थिति है। यानी , यदि हमारे विचारों, मान्यताओं, विचारधारा को हम सही तरीके से अलाइन(बैलेंस) कर लें तो इस समस्या का समाधान काफी आसान हो सकता है।

नीचे कुछ बिन्दु है जिन्हे ध्यान से समझे तो हमारा जीवन बहुत हद तक सुलझा रह सकता है।

 

१. अहंकार को पहचाने।

राजनीती करने वाला और राजनीती से प्रभावित होने वाला, दोनों ही अपने अपने अहंकार से ग्रसित होते हैं। अंतर सिर्फ इतना होता है की एक का अहंकार किसी और को परेशान कर रहा है और दूसरे का अहंकार स्वयं को प्रभावित कर रहा है। अहंकार मनुष्य के लिए सबसे बड़ी बिमारी है, यदि किसी भी व्यक्ति को डिप्रेशन या हीन भावना से बाहर आना है तो उसे अपने अहंकार से मुक्त होना ही होगा।

हमारे जीवन के परिणाम हमारे ही कर्मों पर निर्भर होतें है।

यदि हमारे कर्म का उद्भव (जन्म ) हमारे अहंकार से हुआ है तो इसका परिणाम कभी भी उचित नहीं होगा।  यहाँ थोड़ा सा ध्यान  से समझना होगा कि सफलता और असफलता दोनों ही अहंकार से उत्पन्न होने वाले भाव हैं। यदि आप आज सफल है और खुश है तो कल की असफलता आपके लिए डिप्रेशन लाने वाली है।

यदि हमारे कर्म का उद्भव ( जन्म ) हमारे ह्रदय से हुआ है तो इसका परिणाम आपके लिए कभी भी अनुचित नहीं हो सकता। क्योकि आपके ह्रदय कि ख़ुशी, संतुष्टि किसी दुसरे व्यक्ति के लिए चैलेंज नहीं बनती।  और यदि चैलेंज बनती भी है तो भी आप उसके रास्ते में नहीं आएंगे क्योंकि उस व्यक्ति का भाव आप के लिए निरर्थक है और आपको परेशान नहीं कर सकते।

यदि फिल्म इंडस्ट्री का ही उदारहण ले तो, यदि आप अभिनय को एक कला के तौर पर एन्जॉय करते हैं तो आपके लिए इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता की सुपरस्टार कौन है। हमने देखा है की आर्ट फिल्मों के ज्यातातर कलाकार अपने प्रोफेशन के प्रति संतुष्टि के भाव से रहते है और वो किसी से विवाद में भी नहीं पड़ते। आप यह भी कह सकते है की विवाद में डालने वाले व्यक्ति उन्हें विवाद के लायक ही नहीं समझते। और यह एक तरह से उनके लिए अच्छा ही है। यदि आपके लिए फिल्म में अच्छे कार्य करने से अधिक महत्वपूर्ण नाम या पैसा है तो ये आज नहीं तो कल आपके लिए अवसाद ले कर आएगा।  नाम और पैसा दोनों ही बाहरी जगत के आयाम है और इसका आपके ह्रदय की संतुष्टि से कोई सरोकार नहीं है। यदि आपने अपने किये गए कार्य को ह्रदय की संतुष्टि के लिए नहीं किया है तो आपके पास नाम और पैसा होने के बाद भी आप अंदर से खोखला महसूस कर सकते है।  जो की राजनीती करने के लिए और राजनीती से प्रभावित होने के लिए एक आदर्श स्थिति का निर्माण करती है।

३. ह्रदय को खुश रखने वाले काम करें।

अपने स्वयं के प्रोफेशन के अलावा जीवन में में एक या दो कलात्मक शौक जरूर रखें जैसे की संगीत बजाना, पेंटिंग बनाना, कविताएं लिखना इत्यादि जो केवल ह्रदय से संवाद कर के ही संभव हो सकते है। यह कलात्मक गतिविधिया, यदि दिन भर के व्यवसायिक जीवन में कुछ नकारात्मक घटनाएं हो भी जाती है तो उनका प्रभाव काफी हद तक काम कर देती  हैं।

 

४.  एक्सेप्टेन्स ( अहो भाव)

यह ध्यान रखें की मनुष्य के हाथ में सिर्फ कर्म करना ही है , परिणाम जो भी हो उसे स्वीकार करना चाहिए। यदि परिणाम काफी परेशान करने वाला हो तो भी ये समझना चाहिए की  उसके पुराने कर्मों के कारण ही निर्मित हुए है। उन्हें स्वीकार करके आगे अच्छे (ह्रदय को संतुष्टि देने वाले ) कर्मों की तरफ बढ़ जाना  चाहिए।

 

५.  प्रेम

प्रेम मनुष्य की मौलिक भूख है और वो इसे प्राप्त करने के लिए ही जीवन में तमाम तरह के रिश्ते  बनाता चला जाता  है। लेकिन एक बात समझने की कोशिश करें कि दुनिया का कोई भी सम्बन्ध आपको प्यार दिलाने कि गारंटी नहीं दे सकता। यह पूर्णतया सामने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता हैं कि वो आपको प्यार करे या न करे। अधिकतर समय इंसान को सामने वाले व्यक्ति से इस मामले में हताशा ही लगाती है और ये तय भी है क्योंकि सामने वाला व्यक्ति भी आपसे प्रेम पाने के लिए ही बंधा है ना की प्रेम देने के लिए। अब एक भिखारी दुसरे भिखारी को क्या दे सकता है?  इस दुनिया में आप मनुष्य के रूप में पैदा हो गए है यही आपके लिए एक परिपूर्ण और सम्मानजनक घटना है। आप को किसी और व्यक्ति से सम्मान और प्रेम की कोई आवश्यकता ही नहीं है। जब आप ह्रदय को संतुष्टि वाले कार्य करेंगे तो आपका सम्मान और प्रेम आपके लिए स्वयं ही उत्पन्न हो जाएगा। और ह्रदय की संतुष्टि ही आपको प्रेम से पूर्ण कर सकता है।

 

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