कोरोनावायरस महामारी के विस्फोट ने जीवन को 360 डिग्री पर बदल दिया है। कोरोनावायरस ने न केवल व्यवसायों को प्रभावित किया है, बल्कि आदतों और मनोविज्ञान के संदर्भ में भी जीवन को प्रभावित किया है। आदतें पर्यावरण और परिस्थितियों पर बहुत हद तक निर्भर करती हैं। कोविड के बाद दुनिया बदल गई है। कई व्यवसायिक-से-सामान्य ग्राहकों की सेवा करने, आपूर्तिकर्ताओं के साथ काम करने, और सहकर्मियों के साथ सहयोग करने या सिर्फ कुछ भी कार्य करने के लिए होने वाला दृष्टिकोण पूर्णतया बदल चुका है। आज, लोग कार्यालयों पर नहीं जा रहे है और न ही सहकर्मियों को देख रहे है। शोरूम पर ग्राहक नहीं आ रहे। होम कल्चर के काम ने पूरी दुनिया को जकड़ लिया है। कर्मचारी अपने परिवार के साथ अधिक समय बिता रहे हैं, जो ठीक से प्रबंधित नहीं होने पर नकारात्मक हो सकता है। महामारी द्वारा निर्मित इस चुनौतीपूर्ण दौर मे, वर्तमान समय की बेहतर समझ के लिए निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर जानना जरूरी है ।
चुनौतीपूर्ण समय में जीवन के प्रति सकारात्मक सोच बनाये रखते हुए किस तरह खुशियों को समेटे रखें ?
कोरोना वायरस ने निसंदेह अत्याधिक चुनौतीपूर्ण समय से हमारा सामना करवा दिया है। मानव संपर्क से दूरी, हर समय किसी वस्तु के संपर्क में आते वक्त सजग रहना, मास्क पहने रखना, सार्वजनिक यातायात को नजरअंदाज करना, भीड़ भाड़ भरे स्थानों से बचना जैसे कोरोना वायरस से बचाव के उपायों ने वैश्विक स्तर पर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर अवश्य ही प्रभाव डाला है | इसके अलावा जॉब और बिज़नेस ने भी हर व्यक्ति को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है |
अनिश्चिताओं भरे इस समय में हमारे लिए इस प्रश्न का उत्तर ढूंढना अत्यंत आवश्यक हो जाता हैं कि हम अकेलेपन और असहाय होने के भाव से ग्रसित न होकर जीवन के प्रति उत्साह और उमंग किस तरह बनाएं रखे | ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में यह बात अत्याधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है कि हम एक खुशहाल, परिपूर्ण जीवन कैसे व्यतीत कर सकते हैं और किस तरह कोरोना काल को सफलतापूर्वक पार कर सकते हैं |
त्यौहार
जीवन तो ईश्वर का अनमोल तोहफा है और हमें किसी भी परिस्थिति में इसे व्यर्थ में व्यतीत न करके उत्साह और उल्लास के साथ ही जीना चाहिए | और यदि आप भारतीय है तो निश्चित ही आप एक ऐसे वातावरण में रहते है जहाँ कि संस्कृति, रीतियों, त्योहारों, पारिवारिक ढांचों में नकारात्त्मकता को विलुप्त करने कर सम्पूर्ण प्रबंध है| शायद ही कोई ऐसा देश हो जहाँ भारत जितने त्यौहार और उत्सव मनाने के अवसर आते हों| सामाजिक अवसरों के अलावा व्यक्तिगत जीवन के अवसर जैसे कि जन्म, शादी, सालगिरह इत्यादि को भी जोड़ लें तो हर भारतीय को पूरे वर्ष में हर माह उत्सव मनाने का कम से कम एक अवसर तो मिलता ही है| कोरोना की वजह से शायद हमें भीड़ भाड़ से भले ही बचना हो लेकिन ऐसा कोई कारण नहीं बनता है जो आप की उत्सव मानाने की भावना को किसी भी तरह से कम कर सकता हो| वैश्विक स्तर पर हम भारतियों कि पहचान भी विपरीत परिस्थितियों में भी मुस्कुराने वालों कि ही है |
परिवार
भारतीय समाज का पारिवारिक ढांचा भी वैश्विक स्तर पर सबसे बेहतरीन माना जाता है | हम सभी अपने परिवार के सदस्यों के साथ सम्बन्ध मजबूती से निभाते हैं| चाहे हमारे रिश्ते कितने भी उतार चढ़ावों से गुजरते हो लेकिन हम इन्हे जिंदगी भर निभाते हैं| इन रिश्तों का महत्त्व ऐसे ही कठिन समय में समझ में आता है जब बाहरी वातावरण परिवार के किसी सदस्य के अनुकूल नहीं होता हैं| आम जिंदगी में भले ही परिवार के सदस्य अपने जीवन में व्यस्त रहते हों, विपरीत परिस्थितियों में सब एक दुसरे का हाथ थामे नजर आतें है| परिवार के लोंगो से फ़ोन, वीडियो चैट इत्यादि माध्यमों से टच में रहकर आप अपने भावों को सकारात्मक, हल्का फुल्का रख सकते हैं |
आध्यात्म
हमारे देश का विश्व को सबसे बड़ा तोहफा आध्यात्म है| हम भारतियों के जीवन में समस्त मान्यताएं, परम्पराएं, रीतिरिवाज़, सोचने का ढंग सभी में आध्यात्म समाहित है| आध्यात्म जीवन कि चुनौतियों का ही उत्तर है| जीवन में हमें चुनौतियों क्यो मिलती है और एक मनुष्य के लिए इन चुनौतियों के पार जा कर विजय प्राप्त करना क्यों आवश्यक है, ऐसे ही अनेक प्रश्नों के जवाब अलग अलग रूप तथा उदाहरणों के रूप में हमारी धार्मिक व आध्यात्मिक पुस्तकों में विस्तार से उपलब्ध है| ऐसे समय में अध्यात्मिक विचार हमारे लिए अत्यंत सहायक सिद्ध हो सकते हैं| आध्यात्मिक पुस्तकें न कि केवल आपको सकारात्मक और विजयी भावो से ओतप्रोत कर सकती है बल्कि यह आपके आपसी संबंधो को भी मजबूत बनाने के लिए प्रेरित करतीं हैं| आप ऑनलाइन आध्यात्मिक सेशन में पार्टिसिपेट करके आध्यात्मिक कम्युनिटी के डिस्कशन में भी शामिल हो सकते हैं जो आपके विचारों को नयी ऊंचाइया प्रदान करने में सहायक होंगी | जीवन की गुणवत्ता उच्च कोटि के विचारों में ही निहित है, और आप इस समय का सदुपयोग विचारों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए निश्चय ही कर सकते हैं| आप समय और परिस्थितियों से नहीं बल्कि अपने विचारों से जीवन का आनंद पाते हैं| कठिन समय स्वयं के विचारों को परिष्कृत कर नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का एक अवसर है |